कर्ण पिशाचिनी की सच्ची कहानी | Karna Pishachini Story In Hindi

 

Karna Pishachini Ki Sachi Kahani
Karna Pishachini Ki Sachi Kahani


Karna Pishachini Ki Sachi Kahani Jankar Aapko Bhi Yakin Nahin Hoga


कर्ण पिशाचिनी के बारे में आपने सुना ही होगा इसकी कई वीडियो इंटरनेट पर आती रहती हैं । आप सोचते होंगे यह भी पिशाच-पिशाचिनी की तरह होती होगी, यह भूत-प्रेत की एक प्रजाति होगी जो किसी सुनसान जगह पर रहती होगी । लेकिन आपको बता दे कर्ण पिशाचिनी कोई भूत-प्रेत की प्रजाति नहीं है यह एक ऐसी शक्ति है जिस साधना से प्राप्त किया जा सकता है । इसे पाने वाला व्यक्ति अरबपति भी बन सकता है और पागल भी हो सकता है प्राचीनकाल से ही ऐसी साधनाएं चली आ रही है जिससे हम इन शक्तियों का इस्तेमाल कर पाए । उनमें से एक कर्ण पिशाचिनी साधना है कर्ण पिशाचिनी भूतकाल, वर्तमान और भविष्य का पूरा ज्ञान रखती है इसलिए कई साधक इसे साधकर कर अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं । कर्ण पिशाचिनी की साधना 7 दिन से 21 दिन तक बताई जाती है यह साधना बेहद कठिन होती है साधना के दौरान ऐसे-ऐसे दृश्य दिखते हैं कि व्यक्ति बीच में ही साधना को छोड़ देते हैं । लेकिन कुछ लोगों की हिम्मत बहुत ज्यादा होती है जो इसे प्राप्त कर लेते हैं कर्ण पिशाचिनी यानी कि कान में रहने वाली पिशाचिनी होती है । बहुत समय पहले बिहार और नेपाल के करीब जंगलों में एक आदमी था जो आस-पास के गांव में घूमता रहता था, वह जहां भी काम करता वहां किसी को लुटता और बेवकूफ बनाकर धन इकट्ठा करकर मौज-मस्ती करता उसे शराब पीने की बहुत ज्यादा लत थी । वह गांव की लड़कियों को भी छेड़ता था, गांव वाले उसे भागना तो चाहते थे लेकिन उसके पास पैसे भी बहुत थे इसलिए उसे कोई कुछ नहीं कहता था । एक बार उस गांव में एक अघोरी बाबा आया था वह अघोरी हमेशा पेड़ के नीचे एक टांग पर खड़ा रहता था । वह आदमी उसे देखकर हैरान रह जाता कि कैसे यह अघोरी पेड़ के नीचे खड़ा रहता है और इसे किसी चीज की लत भी नहीं है । वह कई दिनों तक उसे देखता रहा, वह अघोरी ना तो खाना खा रहा था, ना ही पानी पी रहा था । एक दिन शराबी ने जाकर अघोरी से पूछा आप इस पेड़ के नीचे रहते हैं आपको भोग विलास की कोई इच्छा नहीं है मुझे देखिए मैं किस तरह से भोग विलास करता हूं । मैं अपने जीवन का आनंद ले रहा हूं मैं शराब पीता हूं मांस खाता हूं जिंदगी को अच्छे से जी रहा हूं । तब अघोरी कहता है जिंदगी वह नहीं जो किसी को तंग करकर जी जाती है जिंदगी वह होती है जो अपनी खुशी के लिए जी जाती है । अपनी खुशी भोग-विलास में नहीं मिलती, तुम्हें ढूंढनी होगी वह चीज जो इन सब से भी बढ़कर हो । वह सोचने लगा ऐसी क्या चीज है जो भोग-विलास से बढ़कर है । एक रात वह उस अघोरी के पास गया और उसे बहुत ज्यादा परेशान करने लगा कि आप बताइए मुझे की इससे भी अच्छा क्या है मेरे गांव की लड़कियां और आसपास के गांव की लड़कियां, इन सब से भी सुंदर क्या है । तभी अघोरी ने भी एक गलती कर दी उसने कहां यह तो साधारण स्त्रियां है तुम्हें पता है पारलौकिक स्त्रियां कितनी सुंदर होती है उन्हें छुआ नहीं जा सकता, आप उन्हें बस देखते रहेंगे और मोहित होते रहेंगे । कर्ण पिशाचिनी भी उनमें से एक है जो बेहद सुंदर होती है लेकिन आप उन्हें देख नहीं सकते उनकी आवाज बहुत प्यारी होती है जिसे सुनकर ही प्यार हो जाए । अब वह शराबी अघोरी के पीछे पड़ गया कि मैं उसे कर्ण पिशाचिनी की आवाज सुनना चाहता हूं । अघोरी ने कहां यह इतना आसान नहीं है 21 दिन तक साधना करनी पड़ती है उसके बाद कर्ण पिशाचिनी को साधा जाता है तब उसकी आवाज सुनने को मिलेगी । अब शराबी ने उस अघोरी को तंग करना शुरू कर दिया, अघोरी को लगा अब इसे सबक सिखाने का समय है तो अघोरी ने उसे साधना की जानकारी देना शुरू कर दिया और शराबी ने भी अपनी शराब और लड़कियों को छोड़ दिया था । अब उसने 21 दिन की साधना शुरू कर दी शुरू की साधना के दिन सब ठीक चल रहा था उसे भूत-प्रेत नजर आते गए और वह किसी से डर नहीं रहा था । धीरे-धीरे दिन बीतते गए और वह साधना करता गया अघोरी को सही साधना की जानकारी थी, इसलिए वह उसकी मदद करता आ रहा था । इस तरह 21 दिन बीत गए और उस शराबी ने कर्ण पिशाचिनी को साध लिया था, जिसे साधने में बड़े-बड़े साधक भी हार मान लेते हैं । उसके कान में एक लड़की की आवाज आती थी वह देखने लगा कौन सी लड़की उससे बात कर रही है यह उसके कान में रहने वाली कर्ण पिशाचिनी थी । वह कर्ण पिशाचिनी से बात करने लगा उसकी आवाज इतनी प्यारी थी वह चाहता था कि कर्ण पिशाचिनी उसके सामने आए इस प्रकार कर्ण पिशाचिनी उसे बहुत सारी जानकारी देती रही । वह तो कर्ण पिशाचिनी पर मोहित हो गया था वह उससे प्यार करने लगा था उसने तो कर्ण पिशाचिनी को साधा ही इसलिए था कि वह देख पाए अप्सराय कैसी होती है । कर्ण पिशाचिनी जिसकी आवाज इतनी प्यारी है देखने में वह कैसी लगती होगी उसके बाद वह मांग करने लगा कि मैं तुम्हें देखना चाहता हूं । उसने कहां इसका भी समय आएगा जब तुम मुझे देख पाओगे, इसके लिए तुम्हें काफी इंतजार करना पड़ेगा । उसके बाद कर्ण पिशाचिनी उसे भूतकाल, वर्तमान और भविष्य की जानकारी देती रही। उसके पास अब धन आने लगा, गड़े खजाने का पता चल रहा था, कहां पर कमाई की जा सकती है कहां पर सोना गड़ा मिलेगा । ऐसी सारी जानकारी उसके पास थी लेकिन जैसे ही वह गांव में जाता कर्ण पिशाचिनी गुस्सा करने लगती कि तुम गांव में नहीं जा सकते, किसी और स्त्री की तरफ नहीं देख सकते । वह बिल्कुल एक पत्नी की तरह व्यवहार कर रही थी वह आदमी अपने घर गया था अपनी मां के हाथ का खाना खाने लेकिन कर्ण पिशाचिनी ने उसे घर में रुकने नहीं दिया । कर्ण पिशाचिनी उसके कान में ऐसी आवाज करती कि कान के पर्दे फटने को हो जाते, उसका शरीर अंदर से खींचने लगता, उसे सांस लेने में दिक्कत आ रही थी । वह गांव से भागकर पास के जंगल में रहने लगा वह कर्ण पिशाचिनी से माफी मांगते हुए बोला यह मेरी गलती है कि मैने तुम्हें बुलाया, अब कर्ण पिशाचिनी उसे छोड़ना नहीं चाहती थी । उसे एक शरीर चाहिए होता है किसी का साथ चाहिए होता है उसने अघोरी से भी माफी मांगी और पूछा किस तरह मेरा इस कर्ण पिशाचिनी से पीछा छूटेगा । कर्ण पिशाचिनी को बुलाया जा सकता है इसे भेजा नहीं जा सकता, तुम्हारे पास वह तरीका कभी पहुंच नहीं पाएगा मैं बताना भी चाहूंगा तो कर्ण पिशाचिनी तुम्हें सुनने नहीं देगी । यह तो तुम्हें पहले जानना चाहिए था, पहले तो तुम सुंदर स्त्री को देखना चाहते थे जो अप्सरा की तरह हो अब वह मिल गई है और एक दिन तुम्हें नजर भी आएगी । वह जंगलों में भटकने लगा अकेले रहने लगा जब भी कोई फीमेल जानवर भी उसके करीब आता तो वह उसको दूर कर देती । इस तरह उसे अकेलेपन का एहसास होने लगा, अब जो खजाना था उसका वह क्या करता । वह गांव तक नहीं जा सकता था । कहते हैं धीरे-धीरे तड़पकर उसी जंगल में उसकी मौत हुई थी, जब उसकी लाश वहां मिली तो उसके कान के पर्दे फटे हुए थे कर्ण पिशाचिनी ने उससे तंग होकर उसके कानों में ऐसी आवाज लगाई कि उसका सर फट गया था । कहां जाता है कि उसने कर्ण पिशाचिनी को देख भी लिया था । 


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